मशरूम की खेती शुरू से लेकर मुनाफा तक की पूरी जानकारी | मशरूम की खेती Today 2024

Spread the love

परिचय

मशरूम को आम भाषा में फंगी कहा जाता है, कुछ ऐसे मशरूम होते है जो खाने के योग्य होते हैं कुछ नहीं, जो खाने के योग्य नहीं होते वे कहीं भी गंदी जगह पर उग जाते हैं पर खाने वाला मशरूम होता उसकी खेती की जाती है, मशरूम मे कई प्रकार के तत्व पाए जाते हैं जैसे विटामिंस , ऐन्टीआक्सिडेन्ट ,मिनिरल्स ये सब पोषण तत्व स्वस्थ के लिए बहुत ज्यादा लाभकारी होता है इसलिए आज के युग में दिन पर दिन इसकी मांग बढ़ती जा रही हैं ।

किसान अब मशरूम की खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं क्योंकि इनकी मांग दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं और अब मशरूम की खेती का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है , मशरूम एक नकदी फसल है और इसमें मुनाफा बहुत होता हैं लोग मशरूम से बनी अलग-अलग तरह पकवान खाने मे उपयोग कर रहें हैं ये एक शाकाहारी भोजन में आता है ।

किसान अगर मशरूम की खेती करते हैं तो उन्हें एक सटीक आमदनी का जरिया बन सकता है इसके बाजारू भाव हमेशा ज्यादा रहता है , किसान को ज्यादा जगह और ज्यादा खेती जमीन की आवश्यकता नहीं होती इसमे लागत बहुत कम लगाना पड़ता है और बहुत ज्यादा मुनाफा होता है ।

अगर आप एक किसान हैं तो आप मशरूम की खेती कर सकते हैं ये एक बहुत बढ़िया व्यवसाय है, मशरूम की मांग भारत में तो चल ही रही है पर अंतर्रास्त्रीय में भी अब पकड़ बना रहा हैं लोग इसका इस्तेमाल बहुत ही ज्यादा कर रहे हैं हर कार्यक्रम या शादी-विवाह जहां भी जाएंगे तो आप मशरूम की सब्जी या इसके अलग-अलग बने नुश्के मिल ही जाते हैं ।

किसान भाइयों को में ये कहना चाहूँगा की आप मशरूम की खेती एक बार जरूर कर के देख लें, इसके बाद आपको मुनाफा के बारे में पता ही चल जाएगा ।

मशरूम की खेती की शुरूआत कैसे करें

इसके लिए आपको यह जानना होगा की मशरूम कितने प्रकार के होते हैं और आपके देश में कौन-कौन से मशरूम उगाए जाते हैं किस मशरूम को किस तरह की जलवायु लाभ दायक होती हैं , अगर हम भारत की बात करें तो आपको पता चलेगा की यहाँ चार प्रकार के मशरूम की खेती में मुख्य रूप से उगाए जाते हैं ।

  1. बटन मशरूम ।
  2. ऑयस्टर (ढींगरी ) मशरूम।
  3. पुआल मशरूम।
  4. दूधिया मशरूम।

इन सब मशरूम की खेती की जाती हैं बटन मशरूम की खेती को इसकी नियंत्रित मौसम गतिविधि जो इसके अनुकूल हो उसमे की जाती है और बाकी जो तीन मशरूम है उनके गतिविधि के रूप में की जाती है ,बटन मशरूम की खेती को भारत के तमिलनाडु, कर्नाटक,छत्तीसगढ़, उडीसा, पo बंगाल आदि में उगाया जाता है।

आएस्टर (ढींगरी) मशरूम की खेती भारत के राज्य उड़ीसा, पश्चिम बंगाल कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और उत्तर पूर्व में अधिक लोकप्रिय है,ओडिसा मे धान पुवाल मशरूम काफी लोकप्रिय है ,इस मशरूम की खेती को लोग पूरे साल करते हैं यह पीला गुलाबी और हल्का भूरा,सफेद , क्रीम,ग्रे, आदि का होता है । इसकी खेती छायां या बाहर कर सकते हैं।

दूधिया मशरूम की खेती को ज्यादा ठंड की जरूरत नहीं होती है,इसको ज्यादा तापमान की जरूरत होती है इसको 25 से 35 डिग्री तापमान में उगाया जाता है और 80 से 90 प्रतिशत नमी की जरूरत होती है । देश में मशरूम का कुल उत्पादन 1.5 लाख टन होता है।

इसे भी पढ़ें https://fasalsahayata.com/dhan-ki-kheti/

खेती के चरण

अगर आप मशरूम की खेती कर रहे हैं तो आपको स्पान (कीड़ों और कवक से बचाने का प्रबंध ),खाद ,कैसी खेती आदि साधनों का बिल्कुल जानकारी होना चाहिए ।आपको सबसे पहले स्पान खरीदना है , उसके बाद बढ़िया गुणवत्ता वाली खाद अच्छे से तैयार करना है ।

उसके बाद आपको खाद में स्पान को मिलाएंगे जैसे 200 किलोग्राम के लिए 1 किलोग्राम स्पान की जरूरत होगी,आएस्टर (आएस्टर) मशरूम की खेती करते हैं तो आपको 2.5 किलोग्राम की जरूरत पड़ सकती है और अगर आप दूधिया मशरूम की खेती करते हैं तो आप को 5 किलोग्राम स्पान की जरूरत पड़ेगी ।

स्पानिंग की जरूरत अलग-अलग होगी कभी-कभी इसको मिलाया जाता है कभी येसे ही छोड़ दिया जाता है , अगर देखा जाता है की मशरूम की खेती में मअक्षरूम उगने मे कोई दिक्कत आ रही है तो इसे स्पानिंग की प्रक्रिया बाहर करते हैं। इसके पहले आपको उस परिस्थिति में करे जहां इन्हे किसी चीज से हानि न हो ।

  • स्पान रन कवक को पूरे सब्सट्रेट मे फैलने में मदद करता है ,कभी-कभी कुछ सामग्री का एक परत डालना जरूरी हो जाता है कुछ मामलो मे परिवर्तन की जरूरत पड़ सकती है ।
  • बटन मशरूम की खेती मे स्पान रन करते हैं उस समय उस कमरे को बंद करना जरूरी होता है क्योंकि जब हम कमरे को बंद करते है तो कार्बन डाई आक्साइड 10000 पीपीएम तक पहुंच जाता है। आएस्टर में ताजी हवा और प्रकाश दोनों का उपयोग करना जरूरी होता है।
  • कई प्रकार के मशरूम की खेती का जीवन अलग होता है जैसे धान पुवाल मशरूम को उसी दिन उपयोग मे लाया जाता है जिस दिन इसकी कटाई होती है । और बटन मशरूम , आएस्टर मशरूम को अगले दिन भी बेचा जा सकता है , लेकिन दूधिया मशरूम को 3 या 4 दिन मे भी बेच जा सकता है । आएस्टर मशरूम को आप धूप मे सूखा कर आप रख सकते हैं ,
  • बटन मशरूम की खेती को बचा कर रखना पड़ता है । और ज्यादातर मशरूम का आप आचार भी बना सकते है ।
  • इन मशरूम को अच्छे तरीके से पैकिंग करना जरूरी होता है , इन पैकिंग को इस तरह किया जाता है की इनको हवा थोड़ा लगते रहे नहीं तो ये जल्दी खराब होने की गुंजाइश रहती है इन मशरूमों को उचित छिद्रों के साथ कागज वाली पैक करना चाहिए ।

आज के समय मशरूम की खेती एक वाणिज्य ही रूप में उभरती हुई दिखाई दे रही है यह एक व्यावसायिक रूप में नजर आ रही है जो लोग कुछ करना चाहते हैं जिनके पास भूमि ज्यादा नहीं है पढ़ाई छोड़ के घर बैठे हैं उनके लिए एक अच्छा श्रोत है इसकी कृषि करना मगर इसकी कृषि करने से पहले उनको ये ज्ञान होना चाहिए की इसकी कृषि कैसे करें । हम बता दें की विश्व भर में मशरूम का व्यवसाय को तीन प्रकार से बाटा गया है ।

  • खाद्य मशरूम
  • औषधीय मशरूम
  • जंगली मशरूम

आज के समय में पूरे संसार का 70 प्रतिशत से अधिक खाद्य मशरूम से तालूक रखते हैं । और 20 प्रतिशत औषधीय मशरूम से संबधित हैं जो 10 प्रतिशत बचता है वो जंगली मशरूम के व्यवसाय से तालूक रखते हैं।

कुछ मशरूम के एसे होते हैं जो तापमान और जलवायु पर निर्भर रहते हैं भारत में कई स्थान पर मौसम के अनुसार वहाँ का तापमान बदलता रहता है कई जगह तो जैसे पहाड़ियों पर समशीतोष्ण की जलवायु मिलती हैं और कहीं उष्णकटिबंधीय जलवायु मिलती हैं कई जगह अलग-अलग मौसम अलग प्रकार के मौसम पाए जाते हैं ।

कुछ मशरूम 15 डिग्री तापमान या 20 डिग्री तापमान में पनप सकते हैं बटन , शिटेक,आइस्टर ,किंग और 30 डिग्री तापमान पर दूधिया मशरूम और पुआल मशरूम उगते हैं । मतलब ये सिद्ध हुआ की अलग-अलग तापमान पर मशरूम उगाए जा सकते हैं बस आपको ये ज्ञान होना चाहिए की आपके प्रदेश में या जहां रहते हैं वहाँ का तापमान और जलवायु कैसी है ।

मशरूम का रोपण

मशरूम की खेती में मशरूम का रोपण को स्पॉन कहा जाता है , इसकी शुरूआत करने से पहले खेती तैयार करते हैं , मशरूम कल्चर एक तरीका का जीवाणु रहित वातावरण में उगाया जाता है, मशरूम का कुछ हिस्सा लेते हैं एक ट्यूब में कृत्रिम रूप से उगाते हैं । स्पॉन उत्पादन के कुछ तरीके शामिल हैं ।

  • धान , बाजरा गेहूँ आदि स्पॉन बनाने में किया जाता है सबसे ज्यादा गेहूँ का उपयोग किया जाता है इसको गरम पानी में उबाला जाता है ताकि ये नरम हो जाए जिससे ये फटते नहीं हैं फिर इसको बाहर निकाल कर वाष्पीकरण द्वारा सूखने के लिए छोड़ जाता है ।
  • आगे कैल्सीअम कार्बनेट और जिप्सम को अच्छी तरह मिला कर बोतल मे डाला जाता है ।
  • फिर एक प्रेसर बोतल में बांधा जाता है जब तापमान लगभग 128 डिग्री चला जाता है तब बाहर निकाला जाता है ।
  • जब यह ठंडा हो जाता है तब मशरूम कल्चर का संरोपण किया जाता है यह उसमे किया जाता है जिसमें फिल्टर लगे होते हैं ये सब जीवाणु रहित स्थिति में किया जाता हैं ।
  • अगर आपको स्पॉन अगर बनाने में आपको कठिनाई आ रही है तो आपको सरकारी या किसी निजी प्रयोगशाला में जाकर खरीद सकते हैं ।

जब आप स्पॉन खरीदने जा रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ।

  • स्पॉन आपको ताजा उपयोग किया जाना चाहिए ताकि मायसेलियम सक्रिय होता है ।
  • इसका कोई भी बैग गंदा नहीं होना चाहिए कवक हरे और काले न हो ।
  • मशरूम खरीद पर ध्यान देना चाहिए की ये कब और किस तारीख को लगाया गया था इसकी पूरी तरह जानकारी लें ।
  • इसको हवादार वाले डिब्बे में पैक कर के ले जाना चाहिए जब 32 डिग्री से नीचे का तापमान हो तब इसे लेकर आना चाहिए ।
  • ये ध्यान रखे की इसमें धूल न आए ।
  • इसको ठंडी जगह पर स्टोर करें ।
  • कॉटन प्लग तभी खोले जब स्पॉन का उपयोग किया जाता है ।
  • स्पॉन के समेय अगर कोई बैग रोगग्रस्त दिखाई दे रहा है उसको हटा दें और अपने हाथ को साफ रखें ।
  • स्पॉन उत्पादकों को ये पता चला है की पालि फिल का उपयोग करना बेहतर है क्योंकि इसमे कोई सेल्यूलॉज नहीं होता और यह बहुत सस्ता भी है कपास के एक तिहाई के लागत के बराबर है ।
  • दक्षिण भारत के मशरूम उत्पादक स्पॉन बनाते समय प्लग का उपयोग छोड़ कर बैग का इस्तेमाल किया है ।

सफेद बटन मशरूम

आज के युग में इसकी खेती बहुत सारे जगह पर की जा रही है पहले ऐसा नहीं था इसे निम्न तापमान पर ही खेती करते थे अब एस नहीं है आज कल नई तकनीक का धारण कर के इसकी खेती हो रही है, इस मशरूम को लोग काफी पसंद कर् रहे हैं इसके भी बहुत से प्रकार है जैसे टीएस-79,एस-11 आदि की खेती हो रही है।

सफेद बटन मशरूम के लिए 23 डिग्री से लेकर 26 डिग्री तापमान की जरूरत होती है इस तापमान ये अच्छे से फैल जाता है जब ये पूरी प्रक्रिया अपनी कर् लेते हैं तो इसको बाद में इसको और कम तापमान की जरूरत पड़ता है 15 डिग्री से लेकर 18 डिग्री का तापमान इस मशरूम को खुले छायादार और हवादार मे छोड़ सकते हैं इसमें ये उग जाता है । ये एक ए . बाइस्पोरस के प्रजाति मे आता है इसके 100 ग्राम मशरूम में 22 किलो कैलोरी प्राप्त होती है।

ढींगरी मशरूम

यह एक ऐसा मशरूम है की किसान इस मशरूम की खेती पूरे साल कर् सकते हैं इसको ऑयस्टर भी कहा जाता है इसको उगने के लिए 25 डिग्री से लेकर 30 डिग्री की जरूरत पड़ती है और इसमें नमी 75 प्रतिशत से लेकर 90 प्रतिशत की जरूरत होता है , इस ढिंगरी मशरूम को जमाने के लिए धान की भूसी और गेंहूँ का भूसा दोनों का इस्तेमाल होता है, इस मशरूम की पूरी प्रक्रिया तैयार होने में 2 से 3 महीने का समय लगता है।

ये पूरे भारत में होने वाला एक बढ़िया मशरूम है इस प्रकार के मशरूम के कई प्रजातियां है और इन मशरूमों को अलग-अलग जगह पर अलग तापमान की जरूरत पड़ती है इसका प्रयोग रोगों के रोकथाम के लिए भी किया जाता है,इसको उत्पादन करने के लिए उत्पादन कक्ष की जरूरत होती है इस कक्ष में खिड़की और दरवाजे में जाली लागि होनी चाहिए आप किसी भी आकार का बना सकते हैं ऐसा बनाए की हवा आसानी से इनको लगता रहे नमी और कूलर का प्रबंध हो ।अगर आप 11क्विंटल मशरूम उगाते हैं तो आपका कुल खर्च 52000 रु आएगा ।

मिल्की मशरूम

मिल्कि मशरूम यानि दूधिया मशरूम ये एक गर्मी के मौसम वाला मशरूम है इसका दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है यह भारत में व्यापारिक नजरिया से उगाया जा रहा है यह पहाड़ी पर न होकर मैदानी क्षेत्र में आसानी से होता है , इस मशरूम के लिए 25 डिग्री तापमान से 40 डिग्री तापमान की जरूरत होती है और इस तापमान में आसानी से उग जाता है ।

इस मशरूम का वैज्ञानिक नाम केलोसाइबी इंडिका है कृषि फसलों के बचे हुए पदार्थ भी इसको उगाने के लिए मदद करता है इसकी शुरूआत 1976 में हुई थी अब ये मशरूम कई राज्य मे भी हो रहा है जैसे केरल ,कर्नाटक ,तमिलनाडु,आंध्र प्रदेश आदि के राज्यों मे मशहूर है ,अभी तक इसकी लोकप्रियता बढ़ती हुई नजर आ रही है ।

पैडिस्ट्रा मशरूम

पैडिस्ट्रा मशरूम को धान पुआल मशरूम भी कहते हैं , ये नाजुक मशरूम होता है इस मशरूम को गर्म मशरूम भी कहा जाता है यह उच्च तापमान में बहुत तेजी से बढ़ता है और अपने अनुकूल के अनुसार रहता है , यह मशरूम 100 किलोग्राम पुआल से 12 से 13 किलो खुम्बी तैयार की जाती है परिस्थिति के अनुसार इसका फल चक्र 3 सप्ताह से लेकर 4 सप्ताह तक रहता है।

इसका स्वाद बहुत ही सुगंधित और प्रोटीन्स , विटामिन्स से भरी होती है इसमे सभी प्रकार के लाभकारी तत्व पाए जाते हैं । यह भारत के छत्तीसगढ़, झारखंड,ओडिसा,आंध्र प्रदेश आदि में उगाया जाता है, अगर इसकी वृद्धि के लिए तापमान की बात करें तो ये 28 डिग्री से 35 डिग्री तापमान की जरूरत होती है इसमें नमी 65 से 70 प्रतिशत पाई जाती है ।

शिटाके मशरूम

ये भी एक प्रकार का मशरूम है जो सबसे ज्यादा पूर्व एशिया में पाया जाता है इस मशरूम का इस्तेमाल दवाई बनाने में किया जाता है इसमें एंटीआक्सिडेन्ट,एंटी एजिंग और विटामिन D का अच्छा श्रोत है इससे इम्यून सिस्टम से बढ़ाया जा सकता है।

इसको घरेलू और व्यवसायिक रूप से उपयोग की जाने वाली दुनिया की मशरूम से ये दूसरा नंबर पर आता है शिटाके मशरूम बहुत ही स्वाद में बढ़िया होता है और बहुत ही कीमती होता है , इसमे वसा और शर्करा नहीं होता है यह मधुमय और हृदय रोगी के लिए बहुत ही लाभदायक माना जाता है , इसको ठोस भूसी का उपयोग कर उगा सकते हैं।

मशरूम के लिए अच्छी खाद की पहचान कैसे करें

मशरूम की अच्छी खाद को पहचानने के लिए कुछ बातों का ध्यान देना जरूरी है

  • खाद मे नमी की मात्रा 60 से 65 प्रतिशत होना चाहिए।
  • नाइट्रोजन की मात्रा 1.75 से 2.25 प्रतिशत होना चाहिए।
  • इसमे जो नहीं गैस हैं गंधरहित होना चाहिए ।
  • खाद की किट पतंगों से मुक्त होना चाहिए।
  • जो भी काम्पोस्ट खाद होगी वो गहरे भूरे रंग की दिखाई देगी।
  • इसका PH मान 7.2 से 7.8 के बीच होना चाहिए।
  • मशरूम उगाने के लिए आपके पास मायकोहॉस 10 पाउंड स्टरलाइज्ड कम्पोस्ट मशरूम सब्सट्रेट ये लेते हैं तो आपको घर पर ही इसकी आसानी से खेती कर सकते हैं।
  • एक भाग मशरूम खाद और तीन भाग बगीचे की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है।

मशरूम को कहाँ और किस तरह उगा सकते हैं

  • मशरूम के बीज को जमीन के सतह पर रख दें और किसी बड़े कवर स्व धक दें ध्यान रहे की हवा लगती रहे पर धूप नहीं लगना चाहिए ।
  • दूसरा तरीका ये है की बांस का पल्ले बना कर उसके ऊपर मशरूम रखा जाता है यह तरीका बहुत ही कम खर्चीली होती है ।
  • तीसरा तरीका ये है की आप मशरूम के बीज को प्लास्टिक मे रख कर लटका दिया जाता है जिससे वह कम जगह में ज्यादा पैदा होता है ।

मशरूम की खेती के लाभ क्या हैं

  1. मशरूम एक एसी खेती है की आप अगर कोई और भी कार्य या कृषि कर रहे हैं तो उनके साथ भी इसकी भी खेती कर सकते हैं ।
  2. यह आपको ज्यादा मुनाफा देता है और इसकी खेती कुछ बातों का ध्यान में रखकर कर सकते हैं।
  3. इस खेती के लिए आपको ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं होती आप अपने घर के कमरे या अपने किसी झोपड़ी में कर सकते हैं अगर बड़े पैमाने पर करना चाहते है ज्यादा रुपए की जरूरत होती है पर उतना नहीं ।
  4. इसके अन्य भी फायदे है जो आपके स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है जैसे बीटा ग्लाइसीन और लिनांलिक ऐसिड होता है जो कैंसर के खतरे को कम करता है ।
  5. वजन कम करने मे सहायक होता है इसे उबालकर आप इसका सेवन कर् सकते हैं।
  6. ब्लड शुगर को कम करता है,मरीजों के लिए बहुत उपयोगी है ।
  7. मशरूम में सेलिनियम होता है जो आपके रोग प्रति क्षमता को बढ़ाता है ।
  8. दिल के रोगों को ये अत्यंत लाभकारी होता है ।
  9. मशरूम किसान के व्यवसाय के लिए अच्छा विकल्प है लागत कम लगता है जहां 1 किलो मशरूम की लागत मूल्य 25 से 30 रुपए है वही बाजार में 80 से 90 रुपए किलो बिकता है।
  10. किसान बाजार में अच्छे मुनाफे के साथ कंपनी या इसके बाजार में बेच सकते हैं।
  11. इसकी खेती के लिए बिहार राज्य सरकार किसानो को सब्सिडी दे रही है।
  12. बिहार सरकार के द्वारा क्रेडिट लिंक आधारित 50 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है।
  13. बिहार सरकार ने मशरूम की खेती के लिए 20 लाख रुपए प्रति इकाई की लागत पर 10 लाख की सहायता प्रदान की जा रही है ।
  14. मशरूम की खेती के लिए हरियाणा सरकार ने मशरूम उत्पादन के लिए किसानो को सब्सिडी दे रही है ।
  15. हरियाणा सरकार ने मशरूम की सफल कृषि के लिए 150 नए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है।
  16. हरियाणा सरकार ने यह भी बताया है की अगर किसान मशरूम उत्पादन के लिए एक बड़ी यूनिट तैयार कर रहा है और उसको 20 लाख रुपए से शुरूआत की है तो किसान को 40 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी।
  17. मशरूम का बाजारी भाव हमेशा अच्छा ही रहता है ।

मशरूम हानि के उपचार

मशरूम की खेती

1 रोग :-हरी फफूंद

हरी फफूंद को ट्राईकोडर्मा विरिडे कहते हैं मशरूम में लगने वाले सामान्य रोग है जहां क्यूबो पर हरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं जो उनके लिए हानिकारक होता है ।

नियंत्रण :- इस हरे रंग के धब्बे को हटाने के लिए आप फार्मालिन घोल में कपड़े को डूबा कर रखिए ध्यान रहे बस 40 प्रतिशत ही भीग पाए और रोग से प्रभावित जगह को हल्के हाथों से पोंछ दीजिए अगर पूरी तरीके से रोग से प्रभावित है तो उसे हटाकर कहीं दूर जला दें ।

2. माखियाँ या कीड़े

कई प्रकार की मक्खी होती जो मशरूम के स्पान के गंध पर हमला करती हैं इससे मशरूम को काफी नुकसान पहुंचता है ।

नियंत्रण :- मक्खियों से बचने के लिए खिड़की और दरवाजों पर पर्दा लगा दें और मक्खी भागने वाली दवा का उपयोग कर के उन्हे भगाने की कोशिश करें ।

3. घोंघा और शम्बुक

ये मशरूम के लिए काफी खतरनाक है ये मशरूम को पूरे भाग को खा जाते हैं और फसल को बहुत बुरा प्रभाव डालते हैं ।

नियंत्रण :- इन कीड़ों को हटाए और ऐसा उपचार करें की दुबारा न आए ,और उस जगह को साफ रखे बैक्टीरिया रहित खेत बनाए।

Leave a Comment