Dhan Ki Kheti एक ऐसी खेती है जो बरसात के मौसम से शुरूआत होती है ,ये एक प्राचीन कृषि व्यवसाय है ,Dhan यानि चावल ये एक खरीफ की फसल है , चावल दुनियाभर में सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली फसल है , धान यानि चावल भारत की एक मुख्य फसल है देश में अलग-अलग राज्य में Dhan की उपज उनके मौसम के हिसाब से अलग किस्म के Dhan”चावल ” उगाए जाते है।
धान उत्तर प्रदेश की मुख्य फसल है , अब इस राज्य में भी ज्यादा से ज्यादा चावल की उपज में लगातार कहीं वृद्धि कहीं कम होने के संकेत मिल रहे हैं । इसकी उत्पादकता ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने की जरूरत हैं ।
धान एशिआई समेत भारत की एक मुख्य फसल है, अधिकांश किसान Dhan Ki Kheti करते है , खरीफ के मौसम में किसान ज्यादातर धान की खेती करते हैं।
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धान की अधिक पैदावार करने हेतु निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए
- आपके क्षेत्र की कैसी जलवायु हैं।
- मिट्टी कैसी हैं ।
- सिंचाई के साधन कैसे हैं।
- जल का ठहराव ।
- बुवाई और रोपाई के अनुकूल वातावरण ।
- इस वातावरण के अनुकूल धान की जो प्रजातीयां हैं उनका चुनाव करें ।
- शुद्ध और संशोधित बीज का चुनाव करें ।
- खेत के मिट्टी के अनुसार उनका ध्यान रखें ।
- समय से उर्वरक और जैविक खाद का उसके जरूरत के हिसाब से उसका प्रयोग करें ।
- उसके समय के अनुसार उसका बुवाई कर के उसका रोपाई कराएं ।
- धान की देखभाल करें और किट पतंगों और रोगों से बचाव हेतु दवाई का प्रयोग करें।
Dhan Ki Kheti के लिए खेतों की तैयारी
Dhan KI Kheti के लिए धान बोने से पहले खेतों को बढ़िया तरीके से बनाएं जो धान की फसल के अनुकूल हो । खेतों का ध्यान रखे,ये देखे की उसमें बढ़िया तरीके से पानी देर तक रुका रहे ,धान की फसल को कुछ तत्व की आवश्यकता होती हैं जैसे पानी और आक्सीजन ये वातावरण से पा जाते है और शेष मिट्टी से मिलता है जैसे पोटाश , कैल्सीयम ,मैग्निजियम , सल्फर, आदि ये धान को पोषण प्रदान करते हैं और इनकी वृद्धि में मदद करते हैं ,इसलिए खेत की मिट्टी का जांच कर ले की क्या कमी हैं इससे आपकी फसल मजूबत और स्वस्थ रहेगा ।
धान की फसल के लिए समशीतोषण जलवायु की जरूरत होती है ,धान को 20 डिग्री से लेकर 37 डिग्री का तापमान की जरूरत होती है इसी के अनूरुप आपको अपने खेतों की तैयारी करनी चाहिए । खेतों को कई बार जुताई करनी चाहिए ताकि इसकी मिट्टी मे चिकनाहट आए , खेत की मेड़बन्दी मजबूत तरीके से करे जिससे पानी देर तक इकट्ठा हो सके ।
धान के लिए खेती की तैयारी
धान की कई प्रजातियां होती है , लेकिन भारत के कृषि के लिए केवल 105 किस्में विकसित की गई । अगर आपको उच्च उत्पादन चाहिए तो उच्च किस्म के धान के बीज का चुनाव करना होगा वो भी जो आपे खेत के वातावरण के अनुकूल हो । कुछ धान एसे हैं जो ज्यादा पैदावार और मुनाफा देता हैं जैसे :- पंत धान , पूसा 834 बासमती , SKUAST-K धान,पूसा – 1401बासमती।
पंत धान ये धान ज्यादा उपज करने वाला नस्ल है यह धान 120-125 दिनों में तैयार हो जाते हैं ये नमी या तराई क्षेत्र में आसानी से तैयार हो जाते हैं अगर आप इसका इस्तेमाल करते है तो आप प्रति हेक्टेर में 8 से 8 टन धान की उपज कर सकते हैं , इस धान को कृषि अनुसंधान से संसोधित कर के बनाया गया हैं ।
पुसा 834 बासमती ये धान लवणता वाली मिट्टी पर आसानी से उग सकता है , इसमे रोग प्रतिरोग से लड़ने की क्षमता पाई जाति है ये भी उच्च उपज वाला धान हैं ये भी 6 से 8 टन प्रति हेक्टेर फसल उत्पादन कर् सकता है।
SKUAST-K धान ये एक तरह का धान है जो कम पानी वाला क्षेत्र में भी उग सकता है ये एक बौना किस्म का धान है जो 138-140 दिनों में तैयार हो जाता हैं इसकी भी उपज काफी बढ़िया हैं 7 से 8 टन प्रति हेक्टेर उत्पाद कर सकता हैं । यह धान काफी सहनशील है और किसानों का पसंदीदा फसल माना जाता है ,ये किसी भी वातावरण का सामाना करने में अच्छा है ।
पूसा 1401 धान ये कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा तैयार किया गया एक प्रकार का धान है जो बौनी प्रजाति का है यह धान 140 दिनों में तैयार हो जाता है इसकी उपज क्षमता बहुत ही अच्छा है पुसा धान 6 से 7 टन प्रति हेक्टेर की उपज कर् सकता हैं यह कोई भी उपजाऊ जमीन पर आसानी से हो जाता है , इसकी बहुत ही अच्छी सुगंध आती है।
कुछ और भी प्रकार के धान है जो प्रजाति के अनुसार बाटा गया है
- जल्दी पकने वाली धान मनहर , आई आर -50 , रत्ना , बारानी दीप , नरेंद्र 97 , नरेंद्र -2 , नरेंद्र -80 , नरेंद्र लालमती , नरेंद्र -1
- मध्यम देर से पकने वाली प्रजाति नरेंद्र-359, पंत धान -4 , सीता, सरजू-52, मालवीय धान -36, नरेंद्र धान -2064, नरेंद्र धान-3112-1, नरेंद्र धान -2026, नरेंद्र धान -2065।
- देर से पकने वाली प्रजाति महसूरी, सांभा महसूरी
- सुगंधित धान प्रजाति टाइप -3, नरेंद्र लालमती, कस्तूरी , पूसा बासमती -1, हरियाणा बासमती -1, बासमती -370, तरावड़ी बासमती ,मालवीय सुगंध, मालवीय सुगंध-4.3, नरेंद्र सुगंध ।
- ऊसरीली धान प्रजाति ऊसर धान-1, सी एस आर -10, नरेंद्र ऊसर धान -2, ऊसर धान -3, नरेंद्र ऊसर धान -2009 ।
- बाढ़ग्रस्त के क्षेत्र के लिए एन डी आर-8002, जल लहरी ,जलमग्न ,मधुरकर जल निधि ,जल प्रिया,नरेंद्र मयंक ।
धान की खेती के लिए उर्वरक का इस्तेमाल
जल्दी पकने वाले धान के लिए नियम रोपाई के पहले आपको पोटाश और फास्फ़ोरस का छिड़काव करें , और जब 7 दिन हो जाए तो आपको नाइट्रोजन का एक तिहाई का छिड़काव करें , धीरे- धीरे जब धान का फूल आ जाये तो नाइट्रोजन लोकल शब्द में यूरिया का एक तिहाई डालें इससे आपको मदद मिलेगी ।
मध्यम देर से पकने वाले धान के लिए नियम रोपाई के पहले आपको पोटाश और फास्फ़ोरस का छिड़काव करें फिर 7 दिन बाद धान की खेती में नाइट्रोजन का एक तिहाई का छिड़काव करवाए धीरे- धीरे जब उसकी कली निकल आए तो नाइट्रोजन का फिर से छिड़काव करें ।
सुगंधित धान के लिए वही प्रक्रिया रहेगी जो जल्दी से पकने वाले धान का और मध्यम से पकने वाला धान का था ।
धान के लिए जल की व्यवस्था किस तरह करें
Dhan Ki Kheti को ज्यादा पानी की जरूरत होती हैं इसलिए इसको बार-बार ध्यान में रख कर उसके हिसाब से पानी का प्रबंध करना चाहिये क्योंकि जब धान का बीज डालते है तो इसको पानी की जरूरत होती है और जब थोड़ा बड़ा हो जाता है तो इसको बड़े खेत के क्षेत्र में रोपा जाता है उस समय इसको भारी मात्रा मे पानी की जरूरत पड़ती है ।
इसलिए इसके लिए पानी का बंदोबस्त करना बहुत जरूरी हो जाता है जब इसके कल्ले फूटने लगते हैं तब तब इसको पानी की जरूरत पड़ती है, उसके बाद धान के फूल निकलने लगते है तब पानी की जरूरत पड़ती हैं फूल निकलने के समय धान संवेदनशील रहता है उस समय पानी हर हाल में देना जरूरत होता है ।
धान की खेती अधिक उपज लेने के लिए लगातार पानी से भरा रहना जरूरी नहीं हैं अगर खेत के सतह से पानी ना दिखे तो कुछ दिन बाद 5 से 7 सेंटीमीटर सिंचाई करना जरूरी हो जाता है। अगर वर्षा नहीं होता है तो तो सिंचाई जरूर करें , क्योंकि अगर Dhan Ki Kheti में पानी राहत है तो मिट्टी में फास्फोरस,लोहा ,और मैंगनीज तत्वों का श्रोत बढ़ जाता है ।
बीज का चुनाव धान की खेती के लिए
नर्सरी डालने के पहले बीज का चुनाव जरूर कर लें ,कहीं रोग की समस्या नहीं है ,जहां हो वहाँ स्ट्रेप्टोमाइसीन सल्फ़ेट या 40 ग्राम प्लांटोंमाइसीन को मिलाकर पानी में रातभर भीगो के रख दे । फिर दूसरे दिन निकालकर 75 ग्राम थीरियम या 50 ग्राम कार्बेनडाजीम को 8 से 10 लीटर पानी में घोलकर बीज् में मिला दें और अंकुरित करके नर्सरी डाला जाए ।
धान की खेती की फसल में शस्य क्रियाए
- स्वस्थ एव रोगरोधी प्रजातियो की बुवाई और रोपाई करना चाहिए ।
- बीज शोधन कर समय से बुवाई और रोपाई के साथ फसल का ब्योरा अपनाना चाहिए।
- नर्सरी के समय धान को ऊचाई पर लगाना चाहिये ।
- उर्वरकों का सही मात्र का सही समय प्रयोग करना चाहिए ।
- खेत के मेडों को घास से मुक्त एंव साफ सुथरा रखना चाहिए ।
- जल निकास का सही प्रबंध करना चाहिए।
- कटाई जमीन के निचले हिस्से से करना चाहिए।
- फसलों के जो बचे हुए पदार्थ को खत्म कर् देना चाहिए।
धान की फसल में जैविक नियंत्रण
- धान की खेती में जो किट पतंगों होते हैं उनसे बचाना चाहिए।
- शत्रु और मित्र कीटों का अनुपात एक तरह से बनाए रखना लाभदायक सिद्ध होगा ।
रासायनिक अभिक्रिया धान की खेती में
- किट और रोग नियंत्रण हेतु कीटनाशी रसायन का प्रयोग पूर्ण रूप से करना चाहिए ।
- रसायनों का सही मात्र मे सही तरीकों से करना चाहिए ।
- रसायनों मे सावधानी जरूरी है ।
- खरपतवारों का शी तरीके से उसके बताए गए नुसके से ही करना चाहिए।